त्रिपुरा पूर्व में हिल टिप्पेरा के नाम से प्रसिद्ध त्रिपुरा भारत के उत्तर - पूर्वी क्षेत्र के दक्षिण पश्चिम कोने में स्थित है. त्रिपुरा के नाम की उत्पत्ति पर अभी भी इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के बीच एकमत नहीं है। प्रसिद्ध इतिवृत्त राजमाला के अनुसार प्राचीन काल में त्रिपुर नामक एक राजा का त्रिपुरा के भू खंड में राज्य था। कुछ इतिहासकार और शोधकर्ता त्रिपुरा शब्द की उत्पत्ति इस राज्य के भौगोलिक स्थिति से जोड़ते हैं। त्रिपुरा का शाब्दिक अर्थ होता है पानी के निकट। ऐसा माना जाता है कि प्रचीन काल में यह समुद्र के इतने निकट तक फैला था कि इसे इस नाम से बुलाया जाने लगा । आज़ादी के बाद भारतीय गणराज्य में विलय के पूर्व त्रिपुरा एक राजशाही थी । इसका इतिहास 2,500 साल पुराना है और यंहा लगभग 186 राजाओं ने शासन किया। त्रिपुरा विलय समझौते के अंतर्गत त्रिपुरा को भारत में सन् 1949 के 15 अक्टूबर को शामिल किया गया.
अगरतला
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा है और चौथे तरफ में यह बांग्लादेश के मैदानी भागों से सटा है। अगरतला भारत के उन शहरों में शामिल है जन्हा की आबादी बिभिन्न जाति और जनजातियों के समूह से बनी है। हरियाली से परिपूर्ण वनों से आच्छादित, शानदार पर्यटन स्थलों की प्रचुरता और धीमी गति से चलने वाला यंहा का जन- जीवन अगरतला को सही मायनो में एक आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करता है। ऊंचे पहाड़ों पर विकसित समृद्ध और विविध जनजातीय संस्कृति और आकर्षक हरी घाटियाँ त्रिपुरा के आकर्षण को और बढ़ाते हैं।
अगरतला में महाराजा बीर बिक्रम कॉलेज पारंपरिक वास्तुकला का एक शानदार नमूना है।
राजधानी के बीचोबीच स्थित सुकांत अकादमी एक विज्ञान संग्रहालय के रूप में प्रसिद्ध है।
दो मंजिला उज्जयंता पैलेस का फर्श खूबसूरत टाइलों से निर्मित है। अगरतला के इस मुख्य स्मारक में संदुर
सुंदर बगीचे हैं ।
मलांचावास बंगले में रवीन्द्रनाथ टैगोर 1919 में त्रिपुरा की अपनी यात्रा के दौरान ठहरें थे ।
एयरपोर्ट रोड पर वेणुबन विहार नामक एक बौद्ध मंदिर है जंहा भगवान बुद्ध और बोधिसत्वों की धातुओं से बनी
सुंदर प्रतिमाएं हैं।
ओल्ड अगरतला में चतुर्दश देवता मंदिर है जो चौदह देवी देवताओं के सिर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
काली मंदिर (30 किलोमीटर)
कमलसागर झील के समीप की पहाड़ियों में स्थित देवी काली का एक प्रसिद्ध मंदिर है । इस विशाल झील का निर्माण महाराजा धन्य माणिक्य ने 15वीं शताब्दी में करवाया था। बांग्लादेश की सीमा पर स्थित थिस्वस्त झील अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए त्रिपुरा का एक उत्कृष्ट पिकनिक के रूप में उभरा है।
उदयपुर पूर्व में त्रिपुरा के राजाओं के सत्ता का केंद्र था।
जगन्नाथ मंदिर
जगन्नाथ मंदिर त्रिपुरा में मंदिर वास्तुकला का एक दुर्लभ नमूना है।
भुवनेश्वरी मंदिर
भुवनेश्वरी मंदिर अगरतला से 55 किमी दूर उदयपुर में गोमती नदी के पास स्थित है.
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर
माताबारी के नाम से प्रसिद्ध त्रिपुरा सुंदरी मंदिर त्रिपुरा राज्य के प्रमुख पयर्टन स्थलों में से एक है। यह मंदिर भारत के 51 महापीठों में से एक है। दीवाली के अवसर पर हर साल इस प्रसिद्ध मंदिर के निकट एक मेले का आयोजन होता है जिसमे दो लाख से अधिक तीर्थयात्री भाग लेते हैं।
नीरमहल
रूद्रसागर झील के मध्य स्थित नीरमहल उत्तर - पूर्वी क्षेत्र में एकमात्र झील महल है। शीत काल में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगता है। हर साल जुलाई / अगस्त में एक नौका दौड़ आयोजित किया जाता है.
डंबुर झील
41 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली डंबुर झील अगरतला से 120 किलोमीटर दूर स्थित है। राइमा और सरमा नदियों के
संगम पर बसे इस झील के आस - पास हरियाली से परिपूर्ण वन क्षेत्र है। शरद ऋतू में यंहा प्रवासी पक्षियों की विभिन्न
प्रजातियों को देखा जा सकता है। इस झील में प्रचुर संख्या में मछलियाँ भी पायी जाती हैं।
उनोकेटि
उनोकेटि का शाब्दिक अर्थ होता है - एक करोड़ से एक कम। ऐसा कहा जाता है की इतनी ही संख्या में यहाँ चट्टानों को
काटकर नकाशियाँ पाई जाती है। उनोकेटि अगरतला से 180 किमी की दुरी पर इस्थित है और एक महत्वपूर्ण
पुरातात्विक महत्व का स्थान है। हर साल उनोकेटि में एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। अशोकाष्टमी मेला
के नाम से प्रसिद्ध यह मेला अप्रैल के महीने में लगता है जिसमे हजारों की संख्या में तीर्थयात्री भाग लेते हैं।
पिलक
अगरतला से 100 किमी की दूरी में स्थित पिलक 8 वीं और 9 वीं सदी के हिंदू और बौद्ध मूर्तिकला का खजाना है. 10
वर्ग किमी के क्षेत्र में अनेक ख़ूबसूरत मूर्तियाँ पाई गयी हैं।
सेपहिजाला
अगरतला से 25 किमी की दूरी पर स्थित सेपहिजाला का संरक्षित क्षेत्र 18.53 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला है। यंहा
की आवासीय और प्रवासी पक्षियों की 150 प्रजातियां, आर्किड गार्डन, नौका विहार की सुविधाएँ, वन्य जीवन,
वनस्पति उद्यान, चिड़ियाघर, हाथी की सवारी, रबर और कॉफी बागान पर्यटको को आकर्षित करती है.
तृष्णा वन्य जीवन अभयारण्य
अगरतला से लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित तृष्णा वन्य जीवन अभयारण्य जंगली भैंसों के लिए प्रसिद्ध है।
जम्पुई पर्वत (अगरतला से 220 किमी)
समुद्र तल से 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित, जम्पुई हिल्स अपने अद़भुत परिदृश्य और जलवायु के लिए
प्रसिद्ध है. हरे भरे जंगल, खुबसूरत नारंगी के बगीचे ,सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत नज़ारे पर्यटकों को
पूर्ण रूप से लुभाता है। जम्पुई की पहाड़ियों में 11 गांवों का एक समूह है जन्हा मिजो (लुशाई जनजातियों)
और रियांग जनजातियों का निवास है। वन्ग्मुम गांव में ईडन टूरिस्ट लॉज में पर्यटक ठहर सकते हैं. इसके
अलावा स्थानीय लोगों के द्वारा भी आवासीय सुविधा प्रदान की जाती हैं। बेतालोंगच्चिप त्रिपुरा की सबसे
ऊंची चोटी इस पहाड़ी श्रृंखला का अंग है जो 3600 फीट ऊंची है। यंहा से मिजोरम, चित्तगोंग और त्रिपुरा के
अन्य खूबसूरत घाटियों का नजारा देखा जा सकता है। पर्यटकों के लिए इस पहाड़ी श्रृंखला में कई
अच्छे ट्रैकिंग मार्ग हैं।
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