India Travel Tips, Travel Guide and Travel Information

Facebook

https://www.facebook.com/profile.php?id=100086932802995

BTemplates.com

SHARE

Powered by Blogger.

Copyright Issue

The contents of the blog are kept as precise as possible, but no guarantee is expressed or implied regarding the accuracy of the data.

Some of the images used on this site have been uploaded from the internet. Their copyrights lie with the respective owners.

If the owner of any copy-righted image does not want their images to be used on the site, they may contact us at indeepak@gmail.com We will remove the relevant image immediately.


About Me

This is a blog about Indian history. It is edited by me, Deepak Singh, and features information, articles, news and links to interesting history related items from India.

Followers

Total Pageviews

Search This Blog

Pages

Saturday, March 4, 2023

कौसानी - भारत का स्वीट्जरलैंड


Kausani / Image Credit


अपनी अद्भुत सुंदरता के लिए विश्व विख्यात कौसानी को भारत का स्विटजरलैण्ड भी कहा जाता है। समुद्रतल से 1890 मीटर की ऊंचाई पर बसा कौसानी अल्मोड़ा के उत्तर में 53 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। कहते हैं कि पहले यह स्थान वलना नाम से जाना जाता था। 

कौशिक मुनि के कठोर तप के कारण इसे यह नाम मिला। हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली कौसानी ने हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को भी अपने नैसर्गिक सौंदर्य से अभिभूत कर दिया था। कौसानी के कण-ंकण में अद्भुत सौंदर्य के दर्शन होते हैं। हिमाच्छादित त्रिशूल, नंदादेवी, नंदाकोट आदि चोटियां व हरी-ंभरी घाटी में बिखरे फूलों की छटा कौसानी को एक ऐसा रूप प्रदान करती है कि पर्यटक अनायास ही मोहित हो उठता है।  

प्रमुख पर्यटन स्थल
अनाशक्ति आश्रम 
Anashakti ashram / Image Credit
यही वह स्थान है जहां हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1929 में अपने प्रवास के दौरान कुछ दिन बिताए थे। गांधी जी यहां के सौंदर्य से अभिभूत हो गए और अपने पत्र में कौसानी का वर्णन कर उसे देश्-ंविदेश में लोकप्रिय कर दिया। हिमालय की परम शांति व नैसर्गिक सौंदर्य के मध्य खड़ा यह आश्रम पर्यटकों के तन-मन को तरोताजा कर देता है। यहां एक पुस्तकालय भी है।

आसपास के आकर्षण

कटारमल सूर्य मंदिर (10 कि0मी0)
Sun Temple Katarmal / Image

कटारमल का 1000 वर्ष पुराना सूर्य मंदिर उत्तराखंड में सूर्य को समर्पित मंदिरों में से महत्वपूर्ण है। इसका निर्माण मूल रूप से एक कत्यूरी राजा ने 9वीं शताब्दी में करवाया था। यहां के अधिष्ठाता देव वृद्धआदित्य(वृद्ध सूर्य देव) के नाम से जाने जाते हैं। यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला, पाषाण व धातु की मूर्तियों व नक्काशी युक्त स्तंभों व द्वारों के लिए जाना जाता है।

बैजनाथ (19 कि0मी0)

Baijnath Temple / Image Credit

कौसानी रिज के ठीक नीचे गोमती नदी के तट पर बसा बैजनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थ व ऐतिहासिक स्थल केंद्र है।  कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा 12वीं शताब्दी में बनाए गए बैजनाथ मंदिर नदी के किनारे स्थित है, जो बहुत ही नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत करते हैं। यह स्थान कत्यूर घाटी के नाम से भी जाना जाता है। इन मंदिर की कलात्मकता देखते ही बनती है। मुख्य मंदिर में पार्वती जी की बहुत की सुंदर प्रतिमा स्थापित है। बैजनाथ में धनुषाकार हो कर बहती गोमती नदी का रूप ही निराला है। यदि आप इतिहास व पुरातत्व में रुचि रखते हैं तो यहां अवश्य जाएं।

बागेश्वर (42 कि0मी0)
Bageshwar / Image Credit

गोमती और सरयू नदी के तट पर बसा बागेश्वर  एक तीर्थ है जो  समुद्रतल से 960 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां बागनाथ शिव का एक प्राचीन मदिर हैं, जिसे राजा लक्ष्मी चंद ने बनवाया था। मंदिरों के अतिरिक्त पवित्र संगम का भी तीर्थ के रूप में बहुत महत्व है। यहां प्रतिवर्ष जनवरी माह   मकर संक्रांति के दिन बहुत बड़ा मेला लगता है। इसमें दूर-ंदूर से आए तीर्थयात्री भाग लेते हैं। यह स्थान पिंडारी,  काफनी तथा सुन्दरढूंगा हिमनदों के आधार कैंप के रूप में जाना जाता है।

ग्वालदम (48 कि0मी0)
Trisul Peak from Gwaldam / Image Credit

समुद्रतल से 1829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हिमालय का यह छोटा सा शहर चारों ओर से फलों के बागों से घिरा है। ग्वालदम  
रूपकुंड व पिंडारी ग्लेशियर की ट्रैेंकंग के लिए आदर्श आधार शिविर है।  

  

0 comments:

Post a Comment